IFORHER
  • MOTIVATION
    • Everyday Heroes
    • Quotes
  • RELATIONSHIPS
  • LIFE
    • Movies & TV
    • Fashion, Beauty & Style
    • Festivals & Celebration
    • Fun & Humor
    • Astrology & Zodiac
    • DIY & Hobby Ideas
  • ENTERTAINMENT
    • Entertainment News
    • Celeb News
  • QUIZ
No Result
View All Result
IFORHER
Home > मोटिवेशन

मेरे रौशनदान में बैठा एक क़बूतर – गुलज़ार की बेहतरीन हिंदी कविता जो इंसान के जीवन का दर्द बयान करती है

by IForHer Team
June 1, 2019
Join our WhatsApp Channel
Image: Indiatoday

Mere Roshandan Mein Baitha Ek Kabutar

मेरे रौशनदान में बैठा एक क़बूतर

मेरे रौशनदार में बैठा एक कबूतर
जब अपनी मादा से गुटरगूँ कहता है
लगता है मेरे बारे में, उसने कोई बात कहीं.

शायद मेरा यूँ कमरे में आना और मुख़ल होना
उनको नावाजिब लगता है.

उनका घर है रौशनदान में
और मैं एक पड़ोसी हूँ
उनके सामने एक वसी आकाश का आंगन.

हम दरवाज़े भेड़ के, इन दरबों में बन्द हो जाते हैं,
उनके पर हैं, और परवाज़ ही खसलत है.
आठवीं, दसवीं मंज़िल के छज्जों पर वो,
बेख़ौफ़ टहलते रहते हैं.

हम भारी-भरकम, एक क़दम आगे रक्खा,
और नीचे गिर के फौत हुए.

बोले गुटरगूँ…

कितना वज़न लेकर चलते हैं ये इन्सान
कौन सी शै है इसके पास जो इतराता है
ये भी नहीं कि दो गज़ की परवाज़ करें.

आँखें बन्द करता हूँ तो माथे के रौशनदान से अक्सर
मुझको गुटरगूँ की आवाज़ें आती हैं !!

गुलज़ार ने मेरे रौशनदान में बैठा एक क़बूतर कविता के साथ साथ और भी बहुत सी दिल को छू जाने वाली रचनाएँ भी की हैं, उनकी और कवितायेँ आप इस लिंक  ~ Gulzar ~ पर पढ़ सकते हैं।

  • MOTIVATION
  • RELATIONSHIPS
  • LIFE
  • ENTERTAINMENT
  • QUIZ
Contact Us: hello@iforher.com

© 2025 IFORHER Digital Pvt. Ltd. | Women's Entertainment & Lifestyle Platform | About Us | Privacy Policy

No Result
View All Result
  • IFORHER
  • QUIZ
  • ENTERTAINMENT
  • MOVIES & TV
  • ASTROLOGY
  • QUOTES
  • HOROSCOPE
  • FASHION & BEAUTY
  • JOKES & RIDDLES
  • MOTIVATION
  • RELATIONSHIPS
  • COMMUNITY
This website uses cookies. By continuing to use this website you are giving consent to cookies being used.