जावेद अख़्तर साहब अपनी सीधे-सादे शब्दों से चौंका देेने वाली तस्वीरें गढ़ते हैं। कभी वह तस्वीरें प्यार की घराही दिखाती हैं तो कभी टूटे हुए दिल का हाल बतलाती हैं! ऐसी ही कुछ सरल शब्द जावेद अख़्तर साहब के जो आपके चेहरे पे मुस्कान ले आएँगे!
-1-
जब जब दर्द का बादल छाया,
जब ग़म का साया लहराया
जब आँसू पलकों तक आया,
जब यह तनहा दिल घबराया
हमने दिल को यह समझाया,
दिल आखिर तू क्यों रोता है
दुनियाँ में यूँ ही होता है।
-2-
ये जो गहरे सन्नाटे हैं,
वक़्त ने सबको ही बाँटे हैं
थोड़ा ग़म है सबका किस्सा,
थोड़ी धूप है सबका हिस्सा
आँख तेरी बेकार ही नम है,
हर पल एक नया मौसम है,
क्यूँ तू ऐसे पल खोता है,
दिल आख़िर तू क्यूँ रोता है।
-3-
अब अगर आओ तो, जाने के लिए मत आना ,
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना
मैंने पलकों पे तमन्नाएं सज़ा रखी हैं,
दिल में उम्मीद की सौ शम्माएं जला रखी हैं
यह हसीन शम्माएं बुझाने के लिए मत आना।
-4-
अब अगर आओ तो, जाने के लिए मत आना ,
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना
मैंने पलकों पे तमन्नाएं सज़ा रखी हैं,
दिल में उम्मीद की सौ शम्माएं जला रखी हैं
यह हसीन शम्माएं बुझाने के लिए मत आना।
-5-
कभी यूँ भी तो हो
दरिया का साहिल हो , पूरे चाँद की रात हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो
तन्हाई हो, दिल हो, बूँदें हो, बरसात हो
और तुम आओ।
-6-
आज मैंने अपना फ़िर सौदा किया
और फ़िर मैं दूर से देखा किया
ज़िन्दगी भर काम आये असूल,
एक एक करके मैं उन्हें बेचा किया।
-7-
यही हालात इब्तदा से रहे ,
लोग हमसे खफा–खफा से रहे
बेवफ़ा तुम कभी न थे लेकिन,
ये भी सच है कि बेवफ़ा–से–रहे
-8-
दर्द अपनाते है पराये कौन ,
कौन सुनता है, और सुनाये कौन
कौन दोहराये वो पुरानी बात,
ग़म अभी सोया है ,जगाये कौन
आज फिर दिल है कुछ उदास–उदास,
देखिये, आज याद आये कौन।
-9-
दिलों में तुम अपनी
बेताबियाँ लेके चल रहे हो ,
तो ज़िंदा हो तुम
नज़र में ख्वाबों की
बिजलियाँ लेके चल रहे हो ,
तो ज़िंदा हो तुम।
-10-
क्यूँ डरें ज़िंदगी में क्या होगा,
कुछ न होगा तो तज़ुर्बा होगा
हँसती आँखों में झाँक कर देखो,
कोई आँसूं कहीं छुपा होगा।