शुक्रवार तड़के, पुलिस ने एक मुठभेड़ में 26 वर्षीय हैदराबाद की पशु चिकित्सक ‘दिशा’ के बलात्कार और हत्या के पकडे गए चारों आरोपी को मार गिराया।
घटना की पुष्टि करने वाले अधिकारियों के अनुसार, शादनगर में चटनपल्ली गांव के पास बेंगलुरु-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुल के नीचे सुबह करीब 3:30 बजे यह मुठभेड़ हुई।
यह वही अपराध स्थल है जहां 27 नवंबर की रात को आरोपियों ने बलात्कार किया और पीड़िता के शरीर को जला दिया। अपराध के दृश्य के पुनर्निर्माण के लिए, जब सभी चार आरोपी – मोहम्मद अली उर्फ मोहम्मद आरिफ, जोलू शिवा, जोलु नवीन कुमार, और चिंताकुंटा चेन्ना केशवुलु – को साइट पर ले जाया गया, तब शायद ही किसी को पता था कि आगे क्या होगा।
नियमित जांच के अनुसार, पुलिस ने उनसे पूछताछ की कि उन्होंने शमशाबाद में पशु चिकित्सक से बलात्कार के बाद हत्या कैसे की? तब आरोपियों ने कथित तौर पर पुलिस पर हमला किया और मौके से भागने की कोशिश की। अधिकारी ने एचटी के साथ साझा किया,
“आत्मसमर्पण करने के लिए कहने पर भी वे नहीं रुके। अंतिम उपाय के रूप में, पुलिस को उन पर गोली चलानी पड़ी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।”
सार्वजनिक रोष के बाद, तेलंगाना सरकार ने न केवल मामले के त्वरित निपटान के लिए एक विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया, बल्कि साइबराबाद पुलिस ने सभी कोणों से मामले की जांच के लिए 7 विशेष टीमों का गठन किया।
इस एनकाउंटर के बारें में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आयी हैं| जहाँ कुछ लोग इसे 26 वर्षीय पशु चिकित्सक औरउनके परिवार के लिए सबसे तेज न्याय बता रहे हैं, जबकि कुछ अभी भी इससे सहमत नहीं हैं । इंडियाटाइम्स के अनुसार, 26 वर्षीय पशु चिकित्सक के पिता ने कहा कि उनकी बेटी को अब न्याय मिला है।
“मेरी बेटी की मृत्यु के 10 दिन हो चुके हैं। मैं इसके लिए पुलिस और सरकार के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ । मेरी बेटी की आत्मा को अब शांति मिलेगी।”
कुछ अन्य लोग भी इस घटना के समर्थन में आए। निर्भया की मां, आशा देवी, ने भी इस एंकाउंटर का समर्थन करते हुए कहा कि:
“मैं इस सजा से बेहद खुश हूं। पुलिस ने बहुत अच्छा काम किया है और मेरी मांग है कि पुलिस कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।”
हम यह आशा करते हैं कि इन चार आरोपियों की मौत के बाद भी समाज अपनी लड़ाई नहीं रोकेगा। बल्कि, वह तब तक अपनी लड़ाई जारी रखेगा जब तक किसी भी लड़की को निर्भया या दिशा जैसे सेक्स-वंचित राक्षसों का शिकार न बनाना पड़े।
हमें तब तक लड़ते रहने की जरूरत है जब तक कि किसी भी माता-पिता को अपनी बेटी को खोने का दर्द नहीं झेलना पड़े। हमें उम्मीद है कि अधिकारी उन सभी उपायों को भी नहीं भूलेंगे जो दिशा और निर्भया के जीवन को बचा सकते थे ।