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दिव्या दत्ता की कविता – तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो ना – शादी के रिश्ते में बराबरी भी ज़रूरी है

by IForHer Team
January 21, 2024

मशहूर अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने हमेशा सामाजिक मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद की है। और, अब दिव्या ने सबसे अनोखे तरीके से घरों में पति और पत्नी की बराबरी के विषय पर प्रकाश डाला है।

दिव्या दत्ता कविता - तुमने कहा था हम एक ही हैं, तो अपने बराबर कर दो ना - IFORHER

उन्होंने ‘द कपिल शर्मा शो’ में अपने भाई राहुल दत्ता द्वारा लिखी गई एक कविता – “तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो ना”, को साझा किया।

कविता में एक पत्नी अपने पति से कुछ ऐसी बातें कहती हैं जो हमारे घरों में मौजूद असमानता का संदेश देती हैं । हमारी गुज़ारिश है कि आप अपने पति के साथ यह  खूबसूरत कविता ज़रूर देखें क्यूँकि शादी में पति पत्नी का बराबर होना ज़रूरी है !

https://youtu.be/tNv_UluOTYI

कविता के लिरिक्स हिंदी में:

तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो ना
नैपी जब मैं बदलती हूँ तो दूध की बोतल भर दो ना

बस यूँ ही एक हैं एक हैं करके कहां ज़िंदगी चलती है
कभी तुम भी सर दबा दो मेरा ये भी कमियां खलती हैं

जब मैं भी ऑफ़िस जाती हूँ तुम भी घर को संवार दो ना
तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो ना

मत करो वादे जन्मों के इस पल ख़ुशी की वजह दो ना
कभी बाज़ारों से ध्यान हटे तो मकान को घर भी कर दो ना

आओ पास बैठो कुछ बातें करें कभी दिल के ज़ख़्म भी भर दो ना
क्यूँ कहना भी पड़ता है ये तुम एहसासों को समझो ना

तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो ना
तुम क्रिकेट भी अपनी देखो और मैं सीरियल अपना लगाऊँगी

थोड़ा हाथ बंटा देना मैं जब किचन में जाऊँगी
सब मिलकर साथ करने की हम में ये भी तो क्वालिटी है

हम साथ खड़े हैं एक दूजे के हल ही जेंडर (gender)इक्वालिटी है
तुम भी नए से हो जाओ अब और नयी सी मुझे उमर दो ना

तुमने कहा था हम एक ही हैं बस यूँ ही जीवन बसर हो ना

यह जानकर दुख होता है कि 21 वीं सदी में भी महिलाओं को ऑफ़िस और घर में समान रूप से इज़्ज़त नहीं मिलती। हम कामना करते हैं कि हमारा समाज इस असमानता को दूर करने के लिए आगे आएगा और एक निष्पक्ष और समान समाज में तब्दील होगा।

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