बेटी की शादी पे सबसे ज़्यादा दुखी पिता ही होते हैं। आखिर हो भी क्यों ना, एक बेटी अपने पिता की जान होती है। इस समय में पिता की मन से अपनी गुड़िया के लिए दुआएं ही निकलती हैं।
ऐसे ही एक पिता का आशीर्वाद देती हुई कविता जो आपके दिल को छू जाएगी – कन्यादान नहीं करूंगा जाओ।
पिता :-
कन्यादान नहीं करूंगा जाओ,
मैं नहीं मानता इसे,
क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं,
जिसको दान में दे दूँ ;
मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में,
पति के साथ मिलकर निभाना तुम।
मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा,
आज से तुम्हारे दो घर ,जब जी चाहे आना तुम,
जहाँ जा रही हो ,खूब प्यार बरसाना तुम,
सब को अपना बनाना तुम,
पर कभी भी,
न मर मर के जीना ,न जी जी के मरना तुम।
तुम अन्नपूर्णा , शक्ति , रति सब तुम,
ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम,
न तुम बेचारी, न अबला,
खुद को असहाय कभी न समझना तुम,
मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें,
मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ,
उसे बखूबी निभाना तुम।